यह अवॉर्ड अमेरिका की नैशनल स्पेस सोसायटी (NSS) ने साइंस ऐंड इंजिनियरिंग कैटिगरी में दिया। अभी इसका ऐलान किया गया है और इसे 20-24 मई को कनाडा के टॉरंटो में होने वाले नैशनल स्पेस सोसायटी के 2015 इंटरनैशनल स्पेस डिवेलपमेंट कॉन्फ्रेंस में दिया जाएगा।
450 करोड़ रुपए की लागत वाला मॉर्स ऑर्बिटर सबसे सस्ता अंतरग्रहीय मिशन था और भारत इसके साथ ही विश्व में पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान स्थापित करने वाला एकमात्र राष्ट्र बना। मंगल की कक्षा में यान को सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद भारत लाल ग्रह की कक्षा या जमीन पर यान भेजने वाला चौथा देश बन गया है। अब तक यह उपलब्धि अमेरिका, यूरोप और रूस को मिली थी।
यूरोपीय संघ, अमेरिकी और रूसी यान भी मंगल की कक्षा या सतह पर पहुंचने में सफल रहे हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए कई बार प्रयास करने पड़े। भारत का मंगल अभियान कामयाब होने के साथ ही अंतरिक्ष में उसका रुतबा काफी बढ़ गया।
एनएसएस एक स्वतंत्र नॉन-प्रॉफिट एजुकेशनल मेंबरशिप ऑर्गनाइज़ेशन है, जो अंतरिक्ष से जुड़े प्रोग्राम पर काम करता है। यह अंतरिक्ष के कार्यक्रमों में नए बदलावों को लेकर ऐड ऐस्ट्रा मैगज़ीन भी पब्लिश करता है।इस अवॉर्ड में कैलिफर्निया की बेकर आर्ट फाउंड्री का बनाया हुआ मून ग्लोब दिया जाता है। ग्लोब लकड़ी के बेस पर लगे ब्रास सपॉर्ट पर रखा होता है।
2013 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम को अंतरिक्ष से जुड़े कार्यक्रमों में उनके योगदान के लिए एनएसएस से एक मेमोरियल अवॉर्ड मिल चुका है।
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