देश में पहली बार सीआरपीएफ की महिला कमांडो को नक्सली इलाकों में तैनात किया गया है। वे छत्तीसगढ़ के जंगलों में गश्त लगा रहीं हैं।
एक प्लाटून में करीब 35 महिला कमांडो हैं। मौजूदा नीति के मुताबिक, सेना या अर्धसैनिक बलों में महिला अफसरों या सैनिकों को उन इलाकों में नहीं भेजा जाता, जहां पर दुश्मन से सीधा सामना होता है। लेकिन पहली बार इसमें ढील दी गई और महिलाओं को ऐसे इलाकों में भेजा गया जहां नक्सलियों से अक्सर मुकाबला होता है।
खुफिया जानकारियां निकालने में मिलेगी मदद
महिलाओं की तैनाती से खुफिया जानकारियां निकालने में मदद मिलेगी। सुरक्षाबल ग्रामीणों के करीब जा सकेंगे। अफसरों का कहना है कि महिला सुरक्षाकर्मी स्थानीय लोगों और आदिवासी महिलाओं में अच्छे दोस्त बना सकती हैं। इसके अलावा, सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं भी रुकने की उम्मीद की जा रही है।
सीआरपीएफ से पांच साल में दो हजार महिलाएं और जुड़ेंगी
सभी पुलिस और अर्धसैनिक बलों में सीआरपीएफ के पास इस समय सबसे ज्यादा महिला जवान हैं। सीआरपीएफ अगले पांच साल में 2,000 और महिला सिपाहियों की भर्ती की योजना बना रहा है। इससे उसकी मौजूदा तीन हजार की क्षमता बढ़कर पांच हजार हो जाएगी।
बस्तर में 40 फीसदी महिला नक्सली
बस्तर में तैनात नक्सलियों में तकरीबन 40 फीसदी महिला नक्सली हैं। इनमें 40 फीसदी महिला कमांडर हैं। इन्हें पूरी ट्रेनिंग के साथ मैदान में उतारा जाता है। हर बड़े हमलों में ये महिला नक्सली शामिल रही हैं। झीरमघाटी हमले भी महिला दस्ते की अहम भूमिका थी।
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