चेन्नई : कांग्रेस को बड़ा झटका देने वाले एक फैसले में पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी और राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह मंत्रालय के फैसलों को मंजूरी देने या नहीं देने में हस्तक्षेप करते थे। कांग्रेस ने हालांकि उनके आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताते हुए नटराजन पर ‘छिपा इरादा’ रखने का आरोप लगाया।
लंबे समय से कांग्रेस की वफादार रही जयंती ने यहां जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने सभी पर्यावरण मुद्दों पर राहुल गांधी के निर्देशों का पालन किया लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें अपमानित किया।
जयंती ने कहा कि वह पार्टी के ‘घुटन भरे माहौल’ में नहीं रह सकतीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के निर्देश पर पर्यावरण मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद राहुल गांधी के कार्यालय ने उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए गलत खबरें फैलाईं’। जयंती ने राहुल पर निर्णय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘राहुल गांधी के कार्यालय से विशेष ‘इनपुट’ मिलते थे जो कुछ बड़ी परियोजनाओं पर चिंता जताने वाले गैर सरकारी संगठनों के वर्णनों पर आधारित थे।’
पढ़े :देश को 100 रुपये की गंजी-लुंगी वाला नेता चाहिए या 10 लाख के सूट वाला
उन्होंने यह भी कहा कि संप्रग-2 में मंत्री के तौर पर वह स्नूपगेट (जासूसी) मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी पर हमला नहीं करना चाहती थीं लेकिन उनसे कहा गया कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि वह ऐसा करें।
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद के भाजपा उम्मीदवार के रूप में नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘जयंती टैक्स’ के नाम से की गयी आलोचना को तूल न देते हुए जयंती ने कहा कि जब उनकी अपनी पार्टी ने उनके साथ इतना बुरा व्यवहार किया तो वह किसी विपक्षी नेता को कैसे दोष दे सकती हैं। जयंती ने कहा, ‘अगर मेरी खुद की पार्टी मेरे साथ इतना बुरा बर्ताव करती है, तो मैं उन्हें (मोदी) क्यों दोष दूं? वह विपक्ष में थे। अगर मोदी ‘जयंती टैक्स’ की बात कर रहे हैं तो उन्हें जांच करने दीजिए।’
पूर्व पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘सीबीआई जांच करे। मैं इसका स्वागत करूंगी। मैं इसे लेकर आशान्वित हूं क्योंकि इससे मुझे अपना रुख साफ करने का मौका मिलेगा।’ उधर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जयंती नटराजन द्वारा मंत्रालय के कामकाज में राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बारे में लगाये गये आरोपों को निराधार करार दिया। नटराजन से ठीक पहले रमेश केन्द्र सरकार में पर्यावरण मंत्री थे।
रमेश ने यहां एक बयान में कहा, ‘जयंती नटराजन से ठीक पहले तकरीबन 25 महीने तक पर्यावरण मंत्री रहने के नाते मैं पूरी ईमानदारी से यह कह सकता हूं कि राहुल गांधी ने किसी मौके पर मुझे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कभी यह नहीं कहा कि मेरे मंत्री पद की जिम्मेदारी के निर्वहन में मुझे क्या करना है और क्या नहीं करना है।’ रमेश ने कहा, ‘राहुल के खिलाफ आरोप न सिर्फ पूरी तरह से अनुचित हैं बल्कि यह निराधार और विचलित कर देनेवाले भी हैं।’
कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने आरोपों को बकवास बताते हुए कहा कि राहुल गांधी ने मंत्रालय के कामकाज में कभी भी हस्तक्षेप नहीं किया। मोइली नटराजन के बाद पर्यावरण मंत्री बने थे। मोइली ने बेंगलुरू में कहा कि न तो राहुल गांधी की और न ही सोनिया गांधी की कभी भी सत्ता की मांग रही और यही कारण है कि वे सरकार से बाहर बने रहे। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी तीन बार प्रधानमंत्री बन सकती थीं.. राहुल जी भी कभी भी प्रधानमंत्री बन सकते थे। दोनों ने हालांकि सरकार से बाहर रहना पसंद किया।
कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा कि नटराजन ने ‘छिपे हुए इरादे’ के साथ पार्टी उपाध्यक्ष के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाये हैं। उन्होंने नटराजन के आरोपों की हवा निकालने का प्रयास करते हुए इस बात पर हैरानी जताई कि आखिर तमाम अवसरों के बावजूद उन्होंने पिछले एक साल के दौरान पार्टी मंच पर इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि न तो सोनिया गांधी ने और न ही राहुल गांधी ने कभी भी सरकारी मामले में दखल दिया। अगर उन्हें ऐसा करना होता तो वे मंत्री या प्रधानमंत्री बन जाते। इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं है।
सिंह ने नटराजन पर कटाक्ष करते हुए हैरानी जताई कि इतने समय बाद उन्हें ये सब बातें कैसे याद आईं। इस बीच, पटना में कांग्रेस महासचिव सी पी जोशी ने पूर्व पर्यावरण मंत्री के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे भाजपा सरकार के ‘दुष्प्रचार’ अभियान का हिस्सा बताया। पार्टी ईकाई के चार दिवसीय चिंतन शिविर की समाप्ति पर जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘उन्हें यह सब खुलासा करने के लिए आज ही समय क्यों मिला? इस धमाके का समय बहुत सी बातें कहता है।’ संप्रग सरकार में जयंती के मंत्रिमंडलीय सहयोगी रहे जोशी ने नटराजन की कार्रवाई के समय पर सवाल उठाने के साथ ही राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि संप्रग सरकार के दौरान उन्होंने कभी मंत्रालय संबंधी कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया।
उधर, नागपुर में नटराजन के आरोपों को खारिज करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि पार्टी नेतृत्व की ओर से ‘न तो दबाव और न ही कोई हस्तक्षेप था।’ चेन्नई में तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष इवीकेएस इलानगोवन ने कटाक्ष किया और पार्टी छोड़ने के लिए नटराजन का ‘शुक्रिया’ अदा किया तथा कहा कि इससे कांग्रेस की ‘शुद्धि’ होगी।
नई दिल्ली में केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ लगाए गए जयंती नटराजन के आरोपों की हवा निकालते हुए कहा कि तत्कालीन पर्यावरण मंत्री तो पार्टी सांसदों तक से नहीं मिलती थीं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी घाटों पर कस्तूरीरंगन और माधव गाडगिल की रिपोर्टों के क्रियान्वयन से संबंधित ‘ज्वलंत मुद्दों’ पर केरल के कांग्रेस सांसदों को नटराजन से मिलने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी थी।
comments