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छत्‍तीसगढ़ में चपरासी का बेटा बना कनिष्ठ समुद्र वैज्ञानिक

January 13th, 2015 | by admin
Tech
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बचपन में कभी गांव के तालाब में डूबने से बचे ऊर्जानगरी के युवा अनिल केवट आज महासागरीय करवटों की निगरानी कर रहे हैं। कभी स्कूल की दहलीज नहीं चढ़ने वाले उनके पिता नगर निगम में रोजी-मजदूरी की दर पर चपरासी का काम करते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओश्नोग्राफी में पिछले दो वर्षों से जूनियर रिसर्चर के रूप में काम कर रहे अनिल बदलते समुद्री हलचल व मौसम पर उनके असर पर नजर रखते हैं, ताकि समुद्री संसाधनों के सुरक्षित दोहन के लिए अनुकूल स्थिति का पता लगाते हुए समुचित लाभ लिया जा सके।

किसी ने सच ही कहा है कि प्रतिभा किसी सहारे की मोहताज नहीं होती, बस एक पल का मौका और उसे अपनी मंजिल की ओर कुलांचे भरते देखा जा सकता है।
अनिल केवट ऊर्जानगरी के एक ऐसे ही प्रतिभाशाली युवा हैं, जिन्होंने अपने परिवार की कमजोर आर्थिक दशा को आगे बढ़ने के जज्बे के बीच नहीं आने दिया। आज भारत की ऐसी कोई समुद्री सीमा नहीं, जिसकी सैर अनिल ने नहीं की हो। उसने कुछ समय पूर्व ही श्रीलंका के तट पर भी शोध कार्य किया। शहर के बीच बसे बुधवारी बस्ती के स्लम में पलने व बढ़ने वाले अनिल के पिता खीकराम केवट नगर निगम में डेली वेजेस पर आज भी चपरासी की अस्थाई नौकरी कर रहे हैं।
मूलत: जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम महंत के रहने वाले खीकराम ने बताया कि वे करीब 18 से 20 साल पहले कोरबा आए थे और साडा कार्यकाल में रोजी मजदूरी की दर पर एक हजार रुपए से काम करना शुरू किया। आज भी वे नियमित नहीं हैं और उन्हें मिलने वाले लगभग 5 हजार के मानदेय पर परिवार का भरण पोषण टिका हुआ है। इस बीच उनके बड़े बेटे अनिल ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर कामयाबी पाकर न केवल उनके कंधे का आधे से ज्यादा बोझ संभाल लिया, बल्कि उनके सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया है।
सरकारी स्कूल में की पढ़ाई
अनिल ने अपनी पढ़ाई किसी नामी स्कूल से नहीं बल्कि एक साधारण सरकारी स्कूल में पूरी की। प्राथमिक शिक्षा उन्होंने अपने गांव के शासकीय स्कूल से पूरी तथा उसके बाद कोरबा आकर अंधरीकछार शासकीय स्कूल में एडमिशन लिया। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद शासकीय पीजी कॉलेज से बीएससी व भौतिकशास्त्र में एमएससी कर यहीं संविदा प्राध्यापक बन गए।
इस दौरान उन्होंने कभी भी कोचिंग या ट्यूशन का सहारा नहीं लिया। इस बीच नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) क्वालिफाई करते हुए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत के नेशनल फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चयनित हुए। चयनित होकर वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओश्नोग्राफी में जूनियर रिसर्चर के रूप में पिछले दो वर्षों से कार्यरत हैं।
इसरो में भी हुआ था चयन
अनिल के पिता खीकराम केवट व माता श्रीमती गंगाबाई केवट ने कभी स्कूल की दहलीज पर कदम नहीं रखा, लेकिन अपने बच्चों को क्षमता के अनुरूप शिक्षा देने कोई कसर नहीं छोड़ी। अनिल की बहन कु. दुर्गा श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय से बीएड की छात्रा व भाई राजेश बीई प्रथम वर्ष का छात्र है।
अनिल का चयन इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) में जूनियर रिसर्चर के लिए हुआ था, लेकिन उसके चयन की सूचना डाक देर से पहुंची। इसकी वजह से उसे अपने उस अंतरिक्ष विज्ञान के करियर से हाथ धोना पड़ा। इस बीच उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत जारी रखी, जिसके बूते वर्ष 2012-13 उसका चयन समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में हुआ।

 

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