सुबह के चाय के कप में बैठे हुए भारतीय बैडमिंटन प्रशंसकों के लिए शनिवार, 15 नवंबर 2025 की शाम एक दर्द भरी घड़ी बन गई। लक्ष्य सेन, जो दुनिया के रैंकिंग में 15वें स्थान पर थे और कुमामोतो मास्टर्स में सातवें क्रम के बीज थे, केंटा निशिमोटो के हाथों 77 मिनट की लड़ाई में 21-19, 14-21, 21-12 से हार गए। यह मुकाबला कुमामोतो प्रांतीय खेल मंदिर में हुआ, जो बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) के सुपर 500 टूर्नामेंट का हिस्सा था। ये जीत निशिमोटो के लिए सिर्फ एक मैच नहीं थी — ये उनकी बारह फर्स्ट राउंड हारों के बाद एक असली वापसी थी।
मैच का रिवर्स और अनुमान से बाहर का नतीजा
पहला गेम निशिमोटो ने 21-19 से जीता। लक्ष्य ने बहुत करीब से लड़ाई लड़ी, लेकिन जापानी खिलाड़ी ने अंतिम तीन पॉइंट्स एक साथ ले लिए — एक तरफ से लंबी बैकहैंड लाइन, दूसरी ओर एक फेक शॉट जो लक्ष्य को बिल्कुल भटका दिया। दूसरा गेम लक्ष्य ने 21-14 से जीतकर टूर्नामेंट के लिए उम्मीद जगाई। उनकी फ्रंट कोर्ट एक्टिविटी और तेज रिटर्न्स ने निशिमोटो को बेचैन कर दिया। लेकिन तीसरा गेम... वहाँ कुछ बदल गया।
निशिमोटो ने तीसरे गेम में अपनी बुद्धिमत्ता दिखाई। उन्होंने लक्ष्य के लंबे शॉट्स को नहीं भागने दिया, बल्कि उन्हें जमीन पर दबाकर रख दिया। 12-4 के बाद लक्ष्य ने दो लगातार पॉइंट्स लिए, लेकिन उसके बाद निशिमोटो ने लगातार नौ पॉइंट्स ले लिए। जब अंतिम शॉट नेट के पार गया, तो निशिमोटो ने अपने रैकेट को हवा में उछाल दिया — एक ऐसा पल जिसे उन्होंने इस साल बहुत बार देखा था, लेकिन कभी नहीं जीता था।
दो खिलाड़ी, दो अलग यात्राएँ
लक्ष्य सेन, 23 साल के इस युवा खिलाड़ी को ओलंपिक सेमीफाइनलिस्ट कहा जाता है। उन्होंने 2024 के बाद से लगातार टॉप 10 में जगह बनाई है। लेकिन इस साल उनकी शुरुआत धीमी रही — चार टूर्नामेंट में फर्स्ट राउंड में हार, एक टूर्नामेंट में फाइनल तक पहुँचने के बाद भी फाइनल में खराब प्रदर्शन। उनके लिए ये फाइनल तक पहुँचने का मौका बहुत बड़ा था।
दूसरी ओर, केंटा निशिमोटो की कहानी अलग है। 29 साल के इस वरिष्ठ खिलाड़ी ने इस साल 18 टूर्नामेंट खेले — और 12 बार पहले ही बाहर हो गए। उन्होंने हांगकांग ओपन तक फाइनल तक पहुँचने का अवसर पाया था, लेकिन वहाँ भी हार गए। उनके लिए ये टूर्नामेंट सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि अपने करियर की वापसी का संकेत था। उनके कोच ने मैच के बाद कहा, "वो जानते थे कि अगर वो अपना दिमाग नहीं बदले, तो ये साल बर्बाद हो जाएगा।" और आज वो बदल गए।
बैडमिंटन भारत और जापान के बीच का अंतर
भारतीय बैडमिंटन संघ (BAI) ने इस टूर्नामेंट में चार खिलाड़ियों को भेजा था। लक्ष्य के अलावा, दो महिला डबल्स टीम भी फाइनल में पहुँचीं। लेकिन अब तक कोई भी भारतीय खिलाड़ी फाइनल में नहीं पहुँच पाया। इसके बारे में एक बड़ा सवाल उठता है — क्या हमारे खिलाड़ी टूर्नामेंट के अंतिम दौर में दबाव को संभाल नहीं पा रहे हैं?
जापान के लिए ये निशिमोटो की जीत सिर्फ एक खिलाड़ी की जीत नहीं है। जापान बैडमिंटन एसोसिएशन (JBA) ने इस साल अपने युवा खिलाड़ियों के लिए एक नया ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है, जिसमें मानसिक ट्रेनिंग, एथलेटिक्स और डिजिटल एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। निशिमोटो इसका पहला फल है।
अगला चरण: फाइनल का इंतजार
निशिमोटो अब रविवार, 16 नवंबर 2025 को कुमामोतो प्रांतीय खेल मंदिर में फाइनल में खेलेंगे। उनका सामना ली ज़ी जिया (मलेशिया) या एंथनी सिनिसुका गिंटिंग (इंडोनेशिया) से होगा। दोनों ही खिलाड़ी बहुत खतरनाक हैं — ली की तेज गति और गिंटिंग की अद्भुत रिटर्न्स ने इस साल बहुत सारे टॉप खिलाड़ियों को हराया है।
फाइनल का विजेता 11,000 रैंकिंग पॉइंट्स और 31,500 डॉलर जीतेगा। ये टूर्नामेंट की कुल 4.2 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि का 7.5% है। निशिमोटो के लिए ये जीत उनकी रैंकिंग को टॉप 10 में ले जा सकती है — जिससे वो अगले ग्रैंड प्रिक्स और विश्व चैंपियनशिप के लिए बेहतर बीज बन सकते हैं।
पिछले दिनों का संदर्भ
कुमामोतो मास्टर्स 2025 का आयोजन 10 नवंबर को शुरू हुआ था। इसके बाद से लगातार छह दिन तक टूर्नामेंट चला। ये टूर्नामेंट BWF के 31 टूर्नामेंटों में से एक है, जिसमें सुपर 1000 से लेकर सुपर 100 तक के स्तर हैं। ये सुपर 500 टूर्नामेंट एक ऐसा बिंदु है जहाँ युवा खिलाड़ी अपनी क्षमता का परीक्षण करते हैं — और अनुभवी खिलाड़ी अपने करियर को फिर से बनाते हैं।
मैच का निर्णय किम जाहवान (दक्षिण कोरिया) ने किया, जबकि सर्विस जज्स तन ली वेंग (मलेशिया) और चेन जियान (चीन) थे। सभी खिलाड़ी योनेक्स के रैकेट और शूज़ का उपयोग कर रहे थे — जो BWF का आधिकारिक सप्लायर है।
अगले कदम
लक्ष्य सेन के लिए अब फोकस अगले टूर्नामेंट, जिसे इंडोनेशिया ओपन कहा जाता है, पर होगा। उनके टीम के साथ एक बैक-टू-बैक टूर्नामेंट शुरू हो रहा है। उनके लिए अब ये सवाल है — क्या वो दबाव के साथ खेलना सीख पाएंगे?
निशिमोटो के लिए तो अब फाइनल एक नया अध्याय शुरू कर रहा है। अगर वो जीत गए, तो वो अपने करियर का सबसे बड़ा टूर्नामेंट जीत चुके होंगे। अगर हार गए, तो भी ये एक अलग तरह की जीत है — क्योंकि वो खुद को बदल चुके हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
लक्ष्य सेन के लिए ये हार कितनी बड़ी है?
ये हार लक्ष्य के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वो अपने रैंकिंग पॉइंट्स के आधार पर टॉप 10 में बने रहना चाहते थे। फाइनल में जाने से उन्हें 11,000 पॉइंट्स मिलते, लेकिन सेमीफाइनल में हारने से उन्हें सिर्फ 7,800 पॉइंट्स मिले। ये उनकी रैंकिंग में एक छोटी सी गिरावट का कारण बन सकता है, खासकर अगर अगले टूर्नामेंट में भी उनका प्रदर्शन कमजोर रहा।
केंटा निशिमोटो ने इस साल क्यों इतनी बार पहले राउंड में हार दी?
निशिमोटो को इस साल बहुत सारे टूर्नामेंट में बाहर होने का सामना करना पड़ा क्योंकि उनकी राफ्ट और शॉट्स का टाइमिंग बिगड़ रहा था। उनके कोच ने कहा कि उन्होंने अपने शॉट्स को ज्यादा तेज बनाने की कोशिश की, जिससे उनकी गलतियाँ बढ़ गईं। लेकिन कुमामोतो में उन्होंने अपनी रणनीति बदल दी — धीमे, बुद्धिमानी से खेलने का फैसला किया, जिससे उन्हें जीत मिली।
भारतीय बैडमिंटन को अब क्या करना चाहिए?
भारतीय बैडमिंटन संघ को अब युवा खिलाड़ियों को दबाव में खेलने की ट्रेनिंग देनी चाहिए। अभी तक उनका फोकस तकनीकी कौशल पर है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिमागी ताकत भी बहुत जरूरी है। जापान और इंडोनेशिया जैसे देश अब मानसिक प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ रखते हैं — भारत को भी ऐसा करना चाहिए।
कुमामोतो मास्टर्स का फाइनल कब होगा और कौन खेलेगा?
फाइनल 16 नवंबर 2025 को कुमामोतो प्रांतीय खेल मंदिर में होगा। केंटा निशिमोटो या तो ली ज़ी जिया (मलेशिया) या एंथनी सिनिसुका गिंटिंग (इंडोनेशिया) के खिलाफ खेलेंगे। दोनों खिलाड़ी इस साल बहुत अच्छे प्रदर्शन कर रहे हैं, इसलिए फाइनल बहुत रोमांचक हो सकता है।
बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन का क्या रोल है?
बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) दुनिया भर के बैडमिंटन टूर्नामेंट्स को आयोजित करता है और रैंकिंग सिस्टम बनाता है। इसका मुख्यालय यूनाइटेड किंगडम में है। ये सुपर 500 जैसे टूर्नामेंट्स को नियंत्रित करता है, जिसमें खिलाड़ियों को रैंकिंग पॉइंट्स और पुरस्कार राशि मिलती है। इसके बिना, ये टूर्नामेंट अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं पाते।
क्या ये जीत निशिमोटो के लिए ओलंपिक के लिए एक बड़ा संकेत है?
हाँ, बिल्कुल। ओलंपिक के लिए टॉप 10 में रहना जरूरी है, और निशिमोटो अभी टॉप 13 पर हैं। अगर वो इस फाइनल को जीत जाते हैं, तो उनकी रैंकिंग टॉप 10 में जा सकती है, जिससे उन्हें ओलंपिक के लिए बेहतर बीज मिलेगा। ये उनके लिए एक नया अवसर है — जिसे वो पिछले दो वर्षों में खो चुके हैं।