IMD ने जारी किया अलर्ट: उत्तराखंड‑हिमाचल में 264 mm बारिश, 18 मौतें
IMD ने 17 सितम्बर 2025 को उत्तराखंड‑हिमाचल में 264 mm जलस्खलन व 18 मौतों के साथ अलर्ट जारी किया; विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के संकेत पर प्रकाश डालते हैं।
जब भारी बरसात, तीव्र, निरंतर और बड़े पैमाने पर वर्षा को दर्शाता है, को भी वृषाक्रांत कहा जाता है, तो लोग तुरंत सोचते हैं कि किस तरह से बचाव किया जाए। भारी बारिश वायुमंडलीय दाब में तेज गिरावट के कारण होती है, और इसके साथ ही तेज हवाएँ और धुंधली दृश्यता अक्सर जुड़ी रहती है। इस कारण न केवल पैदल यात्रियों को असुविधा होती है, बल्कि सड़कों, इमारतों और बुनियादी ढांचे पर भी गहरा असर पड़ता है।
बाढ़, जब जलस्तर सामान्य सीमा से अधिक हो जाता है और जमीन पर पानी का जमाव बनता है अक्सर भारी बारिश की देर से होती है। बाढ़ के कारण घरों का नुकसान, कृषि उत्पादन में गिरावट, और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में बाधा आती है। इसलिए, बाढ़ प्रबंधन योजनाओं में तेज़ बारिश की भविष्यवाणी को शामिल करना अनिवार्य है। इस संबंध को समझना निचले जल निकायों की सफाई, जलस्तर की निगरानी, और समय पर चेतावनी जारी करने में मदद करता है।
मौसम विज्ञान मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है के माध्यम से भारी बारिश की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है। उपग्रह डेटा, रडार इमेजिंग और भू-आधारित सेंसर मिलकर वायुमंडलीय नमी, तापमान और वायुगतिकी को मापते हैं। इस जानकारी से पूर्वानुमान मॉडल यह बता सकते हैं कि कब और कहाँ सबसे अधिक बारिश होगी, जिससे आपातकालीन तैयारी आसान हो जाती है। मौसम विज्ञान की मदद से न सिर्फ बाढ़ के जोखिम को कम किया जा सकता है, बल्कि कृषि और जल संसाधन प्रबंधन भी बेहतर बनता है।
साइकलोन साइकलोन, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बनने वाली तेज़ हवा और भारी बारिश वाली चक्रवात प्रणाली अक्सर भारी बारिश के साथ आएँगी। जब एक साइकलोन तट के पास पहुँचता है, तो समुद्री सतह के तापमान में उत्थान वायुमंडलीय दबाव को घटा देता है, जिससे बवंडर और असामान्य मात्रा में बारिश होती है। इस प्रक्रिया में, समुद्री लहरों की ऊँचाई भी बढ़ती है, जिससे बाढ़ और जलसेवन की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसलिए, साइकलोन की ट्रैकिंग और समय पर एग्ज़िट प्लान बनाना जीवन रक्षा के लिये ज़रूरी है।
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन, दुनिया का औसत तापमान बढ़ना और मौसम पैटर्न में दीर्घकालिक परिवर्तन आगे बढ़ रहा है, भारी बारिश की आवृत्ति और तीव्रता भी बढ़ रही है। गर्म समुद्र सतह वायुमंडल में अधिक नमी रखती है, जिससे चक्रवात और बाढ़ जैसी घटनाएँ अधिक प्रचलित हो जाती हैं। इस कारण, शहरों को जल निकासी प्रणाली को अपडेट करना, इमारतों को जल-रोधी बनाना और समुदायों को जल आपदा के लिए शिक्षित करना आज की प्राथमिकता बन गई है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझकर नीतिगत बदलाव और व्यक्तिगत तैयारी दोनों संभव हैं।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर, आप भारी बारिश के दौरान बेहतर तैयारी कर सकते हैं। नीचे आप इन विषयों से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट, आँकड़े और व्यावहारिक टिप्स देखेंगे, जो आपके निर्णय लेने में मदद करेंगे।
IMD ने 17 सितम्बर 2025 को उत्तराखंड‑हिमाचल में 264 mm जलस्खलन व 18 मौतों के साथ अलर्ट जारी किया; विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के संकेत पर प्रकाश डालते हैं।