जब सी.एस. तोमर, प्रमुख भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के देहरादून क्षेत्रीय केंद्र के मुख्य ने 17 सितंबर 2025 को घोषणा की, तो उत्तराखंड‑हिमाचल के कई जिलों में भारी बारिश का खतरा आधिकारिक तौर पर सामने आया।
देहरादून (नए दिल्ली से लगभग 260 किमी) में पिछले 24 घंटों में 264 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जबकि हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में 141 मिलीमीटर तक पहुँच गया। इन आँकड़ों के पीछे शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं का टकराव है, जिससे तेज़ वर्षा, बादल‑फटने और भूस्खलन की स्थिति बनी।
इतिहासिक परिप्रेक्ष्य और मौसमी प्रवृत्ति
सितंबर 2025 की वार्षिक जलवायु रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 1,770 बार भारी बारिश की घटनाएँ दर्ज हुईं। इन घटनाओं में 40 अत्यधिक भीषण (204.4 mm से अधिक), 453 भारी‑से‑बहुत भारी (115.6 mm‑204.4 mm) और 1,277 भारी (64.5 mm‑115.5 mm) बारिश शामिल थी। उत्तराखंड में पिछले दशक में उत्तर‑पूर्वी हवाओं का प्रभाव आमतौर पर अप्रैल तक सीमित रहता था; इस साल यह प्रभाव अगस्त‑सितंबर तक टिक गया, जो जलवायु‑परिवर्तन का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है।
वर्तमान विकास और आँकड़े
देहरादून के सहस्त्रधारा‑टपकेश्वर क्षेत्र में 15‑16 सितंबर की रात में बादल फटने से 13 लोग मारे गए और 16 अभी भी लापता हैं। कुल मिलाकर उत्तराखंड में 15 मौतें और हिमाचल प्रदेश में 3 मौतें दर्ज हुईं। बाढ़ ने स्थानीय दुकानों, घरों को डुबो दिया और 100‑मीटर लंबी सड़कों को बहा दिया।
इसी बीच, मौसम विभाग ने उत्तराखंड के दो जिलों – बागेश्वर और मनली – के लिए अलर्ट जारी किया है। अगले 24 घंटों में उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, उप‑हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी‑से‑बहुत भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है।

संबंधित संस्थाओं की प्रतिक्रिया
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) की जलवायु वैज्ञानिक स्वप्नमिता चौधरी ने बताया कि इस वर्ष 10 से अधिक पश्चिमी विक्षोभ देखे गये, जहाँ सामान्यतः अप्रैल के बाद ये क्षीत हो जाते हैं। उनका मानना है कि यह पैटर्न ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को दर्शाता है।
दूसरी ओर, मौसमी सैद्धांतिक मॉडल में ENSO‑न्यूट्रल स्थितियों के साथ सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन वास्तविक आंकड़े इस पैटर्न से भिन्न साबित हुए। "हमारा मॉडल अगस्त‑सितंबर में पश्चिमी विक्षोभ के धीमे‑धीरे घटने की आशा करता था, परन्तु इस साल वे उल्लेखनीय रूप से देर तक रहे," चौधरी ने कहा।
प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण
भारी वर्षा का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव अत्यधिक है। स्थानीय प्रशासन ने 250 से अधिक परिवारों को अस्थायी आश्रय दिया, जबकि कृषि क्षेत्र में फसलें डूब गईं। वाणिज्य मंडलों के अनुसार, बाजार में तरलता घटने और कीमतें बढ़ने की आशंका है।
मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पूर्वानुमान के अनुसार इस पैटर्न की पुनरावृत्ति होती रही तो उत्तराखंड‑हिमाचल के पहाड़ी हिस्सों में भू‑आर्थिक नुकसान दोगुना हो सकता है। "भूकंपीय गिरावट और भूमि क्षरण की संभावना भी बढ़ रही है," एक विभागीय दुभाषिया ने चेतावनी दी।

भविष्य के परिदृश्य और सतर्कता
आगे के 48 घंटों में, दिल्ली‑एनसीआर में गर्मी‑हवा के साथ आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है, तापमान 35 °C तक पहुँचेगा। दो‑तीन दिन में पूर्वोत्तर भारत, महाराष्ट्र तथा कोकण‑गोवा तट पर भी तेज़ बारिश की संभावनाएँ हैं। अंडमान‑निकोबार, अरुणाचल, असम, मेघालय, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में तेज़ हवाओं की चेतावनी जारी है।
नागर अधिकारियों ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे स्थानीय समाचार चैनलों और विभाग की वेबसाइट पर नियमित अपडेट देखें, जल आपूर्ति के नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें और जोखिम क्षेत्रों में प्री‑इवैक्यूएशन योजना का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस बारिश का सबसे बड़ा कारण क्या बताया गया है?
मौसम विभाग ने बताया कि शुष्क पश्चिमी हवाओं और नम पूर्वी हवाओं के मिलन से तीव्र वर्षा हुई। यह असामान्य संयोजन इस साल अगस्त‑सितंबर तक बना रहा, जिससे भारी‑से‑बहुत भारी बारिश का पैटर्न बना।
जाने‑पहचाने बिंदु कौन‑से हैं जहाँ सबसे अधिक नुकसान हुआ?
देहरादून के सहस्त्रधारा‑टपकेश्वर क्षेत्र में बादल‑फटने से 13 मौतें और कई घर बाढ़ से नष्ट हुए। बागेश्वर और मनली जिलों में भी तेज़ धारा और बाढ़ के कारण कई गांव जलमग्न हुए।
क्या यह घटना जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हो सकती है?
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की स्वप्नमिता चौधरी का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ का देर तक बना रहना और अगस्त‑सितंबर में भी तीव्र वर्षा जलवायु‑परिवर्तन के लक्षण हैं। वैज्ञानिक इस दिशा में और शोध की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं।
आगामी दो दिनों में कौन‑से क्षेत्रों में सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तरी उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, उप‑हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी‑से‑बहुत भारी वर्षा की संभावना है। साथ ही अंडमान‑निकोबार, अरुणाचल, असम, मेघालय, कर्नाटक, केरल और गोवा के किनारे पर तेज़ हवाओं की चेतावनी जारी है।
सरकार ने राहत कार्यों के लिए क्या कदम उठाए हैं?
राज्य सरकार ने प्रभावित जिलों में 긴급 बचाव दल तैनात किए हैं, अस्थायी शिविर स्थापित किए हैं और आपातकालीन आपूर्ति के लिए स्थानीय स्वयंसेवी समूहों के साथ समन्वय किया है। मौसम विभाग के अद्यतित अलर्ट मोबाइल ऐप के माध्यम से भी जनता को सतर्क किया जा रहा है।