10 राज्यों के खातों में 71.6% GDP: 2025 की तस्वीर

यह एक चुभता हुआ सच है—भारत की अर्थव्यवस्था का 71.6% सिर्फ 10 राज्यों के कंधों पर टिका है। बाकी देश? 28.4% हिस्से में बंटा हुआ। 2025 की रैंकिंग बताती है कि औद्योगिक निवेश, सेवाक्षेत्र और निर्यात जहाँ मजबूत हैं, वहीं विकास की रफ्तार सबसे तेज है।

पहला फर्क समझ लें—यह चर्चा राज्यों के GSDP (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) की है, यानी हर राज्य में पैदा हुई आर्थिक गतिविधि का जोड़। यह नाममात्र (करंट प्राइस) पर अनुमानित 2024-25 की तस्वीर है, इसलिए विभिन्न स्रोतों में रेंज दिखती है।

भारत के सबसे अमीर राज्य 2025 की सूची में ऊपर के चार नाम—महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात—एक दशक से लगातार दबदबा बनाए हुए हैं। वजह साफ है: वित्तीय सेवाएँ, आईटी, ऑटो-मोबिलिटी, फार्मा, पेट्रोकेमिकल्स और बड़े पैमाने पर निर्यात।

  • 1) महाराष्ट्र — GSDP ₹42.67–₹45.31 लाख करोड़; राष्ट्रीय GDP में 13% से अधिक योगदान। मुंबई–पुणे कॉरिडोर वित्त, टेक और ऑटो की धुरी है; नागपुर, नाशिक और औरंगाबाद विनिर्माण के ठिकाने हैं। केमिकल्स और फार्मा में देश की प्रमुख क्षमता यहीं केंद्रित है; प्रति व्यक्ति आय ~₹2.89 लाख।
  • 2) तमिलनाडु — GSDP ₹30.97–₹31.55 लाख करोड़; ऑटो और ऑटो-Components के कारण “एशिया का डेट्रॉइट” कहा जाता है। चेन्नई–हॉसुर–कोयम्बटूर बेल्ट में आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल का मजबूत क्लस्टर; प्रति व्यक्ति आय ~₹3.50 लाख।
  • 3) कर्नाटक — GSDP ₹28.09–₹28.13 लाख करोड़; बेंगलुरु की आईटी और स्टार्टअप इकोसिस्टम ने सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स को नई ऊँचाई दी। बायोटेक, एयरोस्पेस और इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन की सप्लाई-चेन यहीं से चलती है; प्रति व्यक्ति आय ~₹3.31 लाख।
  • 4) गुजरात — GSDP ₹27.90–₹27.99 लाख करोड़; पेट्रोकेमिकल्स, रसायन, टेक्सटाइल, सिरेमिक और डायमंड कटिंग-पालिशिंग इसका आधार। बंदरगाह ढाँचा और औद्योगिक नीतियाँ निर्यात-चालित विकास को गति देती हैं।
  • 5) उत्तर प्रदेश — GSDP ₹14.23–₹26.63 लाख करोड़ (अनुमानों में अंतर)। सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य अब एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और औद्योगिक पार्कों के जरिए विनिर्माण व लॉजिस्टिक्स पर दाँव लगा रहा है। कृषि-आधारित प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली में अवसर तेजी से बन रहे हैं।
  • 6) पश्चिम बंगाल — GSDP ₹9.04–₹18.76 लाख करोड़ (स्रोत-आधारित रेंज)। कोलकाता क्षेत्र में सेवाएँ, लाइट मैन्युफैक्चरिंग और चाय-जूट जैसे पारंपरिक निर्यात सेक्टर अभी भी अहम हैं।
  • 7) राजस्थान — GSDP ₹8.45–₹17.13 लाख करोड़ (रेंज)। सोलर-वान्ड पावर, खनन, सीमेंट और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रहे हैं; दिल्ली–मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर के लाभ स्पष्ट दिखते हैं।
  • 8) तेलंगाना — हैदराबाद की आईटी, फार्मा और लाइफ-साइंसेज़ इकोसिस्टम ने राज्य को तेज-गति ग्रोथ दी है; इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर उभर रहे हैं।
  • 9) आंध्र प्रदेश — पोर्ट-आधारित उद्योग, बल्क ड्रग्स, फूड-प्रोसेसिंग और कृषि सप्लाई-चेन इसकी रीढ़; विशाखापट्टनम–काकीनाडा बेल्ट रणनीतिक है।
  • 10) मध्य प्रदेश — खनन, ऊर्जा, कृषि-उत्पादन और ऑटो-एंसिलरी के साथ औद्योगिक आधार बढ़ रहा है; नई औद्योगिक टाउनशिप और लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी पर फोकस।

यह रैंकिंग बताती है कि पश्चिमी और दक्षिणी भारत—जहाँ औद्योगिक कॉरिडोर, बंदरगाह, और कुशल श्रम उपलब्ध है—वहीं सबसे तेज विकास दिखा। मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे शहरी केंद्रों ने पूँजी, टैलेंट और बाजार को एक जगह बाँधा, इसलिए निवेश का चक्र वहीं घूमता रहा।

राज्यवार गहराई: सेक्टर, नीतियाँ और आगे का रास्ता

राज्यवार गहराई: सेक्टर, नीतियाँ और आगे का रास्ता

महाराष्ट्र की ताकत विविधता है—फाइनेंशियल सर्विसेज से लेकर मीडिया-एंटरटेनमेंट, ऑटो से फार्मा तक। स्टार्टअप फंडिंग, घरेलू व विदेशी निवेश और पूँजी बाजार की पहुँच ने उद्योगों को स्केल करने की क्षमता दी। मुंबई–पुणे के बाहर भी, नागपुर–विदर्भ क्षेत्र लॉजिस्टिक्स और एग्री-प्रोसेसिंग से गति पकड़ रहा है।

तमिलनाडु ने बेहतरीन सप्लाई-चेन मैनेजमेंट, बंदरगाह कनेक्टिविटी (चेन्नई, तूतीकोरिन) और स्किल्ड वर्कफोर्स पर सालों काम किया। नतीजा—ऑटो, EV कंपोनेंट्स, टेक्सटाइल-टेक और इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली का मजबूत जाल। राज्य का एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड मैन्युफैक्चरिंग मॉडल स्थिर नौकरियाँ देता है और राजस्व को व्यापक बनाता है।

कर्नाटक की पहचान R&D से है। बेंगलुरु का डेवलपर-फाउंडर नेटवर्क, ग्लोबल कैप्टिव सेंटर और यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री लिंक—इन तीनों ने टेक इनोवेशन को लगातार फ्यूल दिया। बायोटेक और डीप-टेक में भी राज्य बढ़त बनाए हुए है, जिससे उच्च-आय वाली नौकरियाँ बन रही हैं।

गुजरात ने “ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस” को जमीन पर उतारा—तेज क्लियरेंस, औद्योगिक एस्टेट्स, पाइप्ड गैस/पावर विश्वसनीयता, और पोर्ट-लिंक्ड लॉजिस्टिक्स। सिरेमिक्स (मोरबी), केमिकल क्लस्टर, टेक्सटाइल प्रोसेसिंग और कट-एंड-पॉलिश डायमंड्स—ये सभी निर्यात को आधार देते हैं।

उत्तर प्रदेश गति पकड़ रहा है। पूर्वांचल–बुंदेलखंड–गोरखपुर बेल्ट में एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और एयरपोर्ट इंफ्रा से इंडस्ट्रियल बेस बन रहा है। विशाल घरेलू बाजार और युवा आबादी मांग का इंजन हैं, पर प्रति व्यक्ति आय को ऊपर खींचने के लिए उच्च-मूल्य विनिर्माण और सेवाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी।

पश्चिम बंगाल की चुनौती है—पुरानी औद्योगिक विरासत को नए जमाने की सेवाओं और लाइट मैन्युफैक्चरिंग के साथ जोड़ना। कोलकाता–हावड़ा क्षेत्र में फिनटेक, आईटी सर्विसेज और लॉजिस्टिक्स की संभावनाएँ तेजी से उभर रही हैं, पर भूमि और औद्योगिक क्लस्टरिंग का बेहतर समाधान और चाहिए।

राजस्थान ने नवीकरणीय ऊर्जा में साहसिक दांव लगाया है—सौर और पवन परियोजनाएँ बड़े पैमाने पर आ रही हैं। साथ में खनिज, सीमेंट और इंजीनियरिंग गुड्स ने औद्योगिक उत्पादन को स्थिरता दी। DMIC (दिल्ली–मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) से लॉजिस्टिक्स लागत कम हो रही है, जिससे एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड यूनिट्स को फायदा है।

तेलंगाना ने हैदराबाद को आईटी और लाइफ-साइंसेज़ की राजधानी बनाने पर फोकस रखा—फार्मा, वैक्सीन, CROs और डाटा सेंटर्स का मजबूत क्लस्टर तैयार हुआ। स्किलिंग पर सतत निवेश और कॉम्पैक्ट नीति-सुधारों ने निजी क्षेत्र का भरोसा बनाया।

आंध्र प्रदेश का पोर्ट-आधारित विकास मॉडल—विशाखापट्टनम, काकीनाडा और अन्य बंदरगाह—बल्क और मैन्युफैक्चरिंग को सीधे वैश्विक सप्लाई-चेन से जोड़ता है। फूड-प्रोसेसिंग, केमिकल्स और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ रोजगार और निर्यात, दोनों बढ़ाती हैं।

मध्य प्रदेश ने सड़क और औद्योगिक पार्कों का जाल बढ़ाया है। खनन और ऊर्जा में पारंपरिक ताकत के साथ ऑटो-एंसिलरी और एग्रो-प्रोसेसिंग को आगे बढ़ाया जा रहा है। केंद्री भारत की लोकेशन इसे लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग हब बनने का मौका देती है।

अब एक अहम तुलना—बड़े GSDP का मतलब हमेशा ज्यादा समृद्धि नहीं। प्रति व्यक्ति आय की रैंकिंग अलग कहानी कहती है: सिक्किम ~₹5.87 लाख, गोवा ~₹4.93 लाख और दिल्ली ~₹4.62 लाख प्रति व्यक्ति आय के साथ सबसे ऊपर हैं। छोटी आबादी, सीमित क्षेत्र और उच्च-मूल्य सेवाएँ इन क्षेत्रों की औसत आय को ऊपर खींचती हैं।

तो फिर नीति-सूत्र क्या हो? उच्च-मूल्य विनिर्माण (इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस, फार्मा), क्वालिटी सर्विसेज (टेक, हेल्थकेयर, फिनटेक), और स्किलिंग—इन तीनों का संयोजन। लॉजिस्टिक्स लागत घटाने, बिजली की विश्वसनीयता, जल-संचयन और शहरी इंफ्रा की गुणवत्ता—ये चार आधार स्तंभ हैं जिन पर राज्य आगे बढ़ेंगे।

आने वाले दो–तीन साल में बड़ा एजेंडा साफ दिखता है—महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश ने $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य सामने रखा है। इसके लिए साल-दर-साल निजी निवेश, निर्यात, और शहरी उत्पादकता बढ़ानी होगी। PLI जैसी योजनाएँ लाभ देती हैं, पर असली खेल सप्लाई-चेन को स्थानीय बनाने और MSMEs को अपग्रेड करने में है।

जोखिम भी कम नहीं—गर्म लहरें और पानी का तनाव दक्षिण और पश्चिम के औद्योगिक बेल्ट को चुनौती दे सकते हैं; कोयला-आधारित ऊर्जा से हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण मध्य भारत के लिए कठिन पर जरूरी होगा। वहीं, वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव आईटी एक्सपोर्ट और टेक सर्विसेज पर असर डाल सकता है।

डेटा को लेकर एक नोट: यहाँ दिए गए GSDP रेंज नाममात्र (करंट प्राइस) के अनुमान हैं, जो अलग-अलग सरकारी/बजटीय दस्तावेजों और उद्योग आकलनों में थोड़ा-बहुत बदलते हैं। 2025 के दौरान संशोधित आंकड़े आते रहेंगे, पर व्यापक निष्कर्ष नहीं बदलते—शीर्ष 10 राज्य भारत की ग्रोथ मशीन हैं, और पश्चिम-दक्षिण की औद्योगिक कमर देश की कुल अर्थव्यवस्था को गति देती है।

हमारे बारे में प्रदीप बालकृष्णन

नमस्कार, मेरा नाम प्रदीप बालकृष्णन है। मैं सरकार, स्वास्थ्य सेवा, मीडिया, समाचार, खेल आदि के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हूं। मैं स्वास्थ्य सेवा, मीडिया और भारतीय समाचार के बारे में लेखन करना पसंद करता हूं। मेरा लक्ष्य जनता को सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है। मैं निरन्तर नई जानकारी और विचारों की खोज करता हूं।

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