चीन का दोहरा हरकत .. कोरोना मदद के लिए बढ़ाया हाथ, चुपके से पूर्वी लद्दाख में बढ़ा दी सेनाओं की गतिविधि
कोरोना वायरस की महामारी के वजह से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. कई देश इस दुख की घड़ी में सहायता करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. पड़ोसी देश चीन एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को चिट्ठी लिखकर सहानुभूति प्रकट करता है और इस दुख की घड़ी में किसी भी प्रकार की सहायता करने का वादा करता है. वहीं दूसरी तरफ चीन का दोहरा हरकत पूर्वी लद्दाख में दबे पांव एक बार फिर से अपनी सेनाओं को भी मजबूत कर रहा है. जानकारी मिली है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना ने अपनी उपस्थिति एक बार फिर से बढ़ा लिया है. इतना ही नहीं बल्कि , उन्होंने पूर्वी लद्दाख के अंदर के इलाकों में स्थायी आवास और डिपो बना लिया है. मतलब बातचीत के बीच चीन एक बार फिर से आक्रामक करने करने के लिए नजर आ रहा है.
फरवरी महीने में हुई बातचीत के दौरान जिस तरह से दोनों देशों ने पैंगोंग झील से अपनी सेनाओं की सैन्य टुकड़ी को वापस बुलाया था उसके बाद धीरे धीरे मामला शांत होने की उम्मीद जगी थी.
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे के आस-पास वाले क्षेत्र पर चीनी सैनिक डटे हुए थे. कई महीनों की तनातनी के बाद पिछले दिन भारत और चीन के बीच लद्दाख में विवादित क्षेत्रों से पीछे जाने को लेकर रजामंदी हो गई थी. साथ ही दोनों ओर से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद भी शुरू कर दी गई थी. देश भक्ति shayari के लिए visit करे
आजतक को मिली खबर के मुताबिक चीनी सैनिकों की तैनाती एक बार फिर से सर्दी के मौसम वाली हो गई है. मतलब कि पुरानी स्थिति में लौट आई है. चीन इतना ही नहीं उन्होंने स्थायी निर्माण, आवास और मिलिट्री बिल्डिंग भी बनाई हैं.
फरवरी महीने में जो सहमति बनी थी , उसके मुताबिक फिंगर 4 में दोनों ओर से पेट्रोलिंग नहीं होगी. फिंगर 4 को नो पेट्रोलिंग जोन घोषित किया गया है. ये चरणबद्ध तरीके से किया जाना है.
आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच पिछले साल मई महीने में तनाव तब शुरू हुआ जब पैंगोंग झील पर चीनी सेनाओं ने अपना दावा बढ़ाना चाहा. इस दौरान भारत और चीन दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हुई थी. 15 जून 2020 को गलवान घाटी में चीनी सेना ने विश्वासघात करते हुए पेट्रोलिंग पर गई भारतीय सेना पर हमला कर दिया. भारतीय सेना ने इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया. इस हमले में भारत के 20 जवानों ने बलिदान दिया. चीन के कई जवान मारे गए, उसने इस बात को स्वीकार किया, लेकिन मारे गए जवानों की संख्या बताने में चीन चुप्पी साध गया.