येरुशलम के लिए संकटः इसराइल के हवाई हमले के बाद हमास ने दी धमकी

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येरुशलम
येरुशलम के लिए संकटः इसराइल के हवाई हमले के बाद हमास ने दी धमकी

दुनिया भर के देशों ने एक बार फ़िर से इसराइल और फ़लस्तीनियों से शांति बनाए रखने की अपील की है.अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (EU) ने इसराइल और फ़लस्तीनियों से जल्द से जल्द तनाव को कम करने का निवेदन किया है.सोमवार रात को फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने येरुशलम पर कुछ रॉकेट दागे जिसके बाद वहाँ लोगों मे हिंसा बढ़ गई. इसके जवाब में, इसराइली सेना ने गज़ा पट्टी में कई चरमपंथी के ठिकानों पर हवाई हमले किया . गज़ा में फ़लस्तीनी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इसराइली हवाई हमलों में बच्चों समेत कम-से-कम 20 लोगों की मौत हुई है.

वहीं इसराइली सेना का कहना है कि चरमपंथी संगठन हमास के कम से कम तीन लोग इन हवाई हमलों में मारे गये हैं जो गज़ा पट्टी क्षेत्र में संगठन का भार सम्भाले हुए थे.

येरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद के क़रीब इसराइली सेनाओं से कड़ी संघर्ष में सैकड़ों फ़लस्तीनियों के घायल होने के बाद सोमवार को चरमपंथी संगठन हमास ने हमले करने की धमकी दी थी.

चरमपंथी संगठन हमास द्वारा किये गए हमलों पर इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास ने अपनी सारे हद पार कर दी है और इसराइल पूरी ताक़त से इसका जवाब देगा.

पिछले कुछ दिनों में येरुशलम ने भयंकर हिंसा का सामना किया है. येरुशलम में हालांकि पहले भी हिंसा होती रही है. लेकिन बीते कुछ दिन पिछले कई सालों में हिंसा के लिहाज़ से सबसे ख़राब रहे हैं.

फ़लस्तीनी येरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद में जाने पर लगाये गये प्रतिबंधों से नाराज़ हैं. इस मस्जिद को इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है, जो यहूदियों के लिए टेंपल माउंट के बराबर में स्थित है और यहूदियों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है.

मानवतावादी समूह – द फ़लस्तीनी रेड क्रेसेंट ने मंगलवार को कहा कि येरुशलम और वेस्ट बैंक में इसराइली सेनाओं के साथ हुई झगड़ों में अब तक 700 से ज़्यादा फ़लस्तीनी बुरी तरह से घायल हो चुके हैं.

BBC में मध्य-पूर्व मामलों के संपादक जेरेमी बॉवेन लिखते हैं कि फ़लस्तीनियों और इसराइलियों के बीच टकराव का कारण कोई नया नहीं है, यह उन्हीं अनसुलझे विवादों पर आधारित है जिन्हें लेकर फ़लस्तीनियों और इसराइलियों की पिछली कुछ पीढ़ियाँ एक दूसरे टकराव रहतीं हैं. लेकिन ताज़ा तनाव इस पूरे विवाद के केंद्र यानी यरुशलम में देखने को मिला है जिसकी ना सिर्फ़ एक धार्मिक मान्यता है, बल्कि दोनों पक्षों के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है.

यरुशलम में रमज़ान के दौरान इसराइल द्वारा सेनाओं की भारी तैनाती की वजह से भी फ़लस्तीनी गुस्सा हो गये थे. वे मानते हैं कि उन्हें इस क्षेत्र में जाने से रोकने की कोशिशों को और भी तेज़ किया जा रहा है और इसी के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनी खड़े हुए हैं. वहीं दोनों तरफ के नेता अपनी-अपनी बातों पर ज़ोर दे रहे हैं और अपने पक्ष को सही बता रहे हैं, जो शांति बनाये रखने की प्रक्रिया में फ़िलहाल सबसे बड़ी चुनौती है. Best Desh Bhakti Shayari in Hindi

इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि हमास को रॉकेट हमलों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए. उन्होंने इस बात गंभीर मानते हुए ज़ोर दिया कि सभी पक्षों को शांति बनाए रखने के लिए थोड़ा पीछे हटना होगा . वहीं व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने भी शांति बहाली की अपील का समर्थन किया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) भी यरुशलम में जारी हिंसा से लेकर चिंतित हैं. एक ट्वीट में ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमिनिक राब ने लिखा कि रॉकेट हमले तुरंत बंद होने चाहिए. साथ ही उन्होंने नागरिक आबादी को लक्ष्य बनाकर किये जाने वाले हमले रोकने का आह्वान भी किया है.यूरोपीय संघ (EU) के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि ‘वेस्ट बैंक, गाज़ा पट्टी और पूर्वी यरुशलम में बढ़ती हिंसा को तुरंत रोकने की ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी येरुशलम में हुई हिंसा को लेकर सोमवार को एक आवश्यक बैठक की. हालांकि, संगठन ने इस विषय पर कोई बयान जारी नहीं किया. लेकिन प्रेस से बात करते हुए एक राजनयिक अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, मिस्र और क़तर, जो अक्सर इसराइल और हमास के बीच मध्यस्थता करते हैं, सभी लड़ाई को रोकने की कोशिश कर रहे हैं . सोमवार को ख़बरें आयी थीं कि पुराने येरुशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद के पास फ़लस्तीनियों ने इसराइली सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज़ी की जिसके जवाब में उन्होंने भीड़ पर ग्रेनेड दागे.

पहले से यह अनुमान था कि सोमवार को येरुशलम दिवस पर होने वाले फ़्लैग मार्च के दौरान शहर में और हिंसा हो सकती है.

येरुशलम दिवस वर्ष 1967 में इसराइल द्वारा पूर्वी-येरुशलम पर कब्ज़ा करने को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है और इस अवसर पर यहूदी नौजवान मुस्लिम इलाक़ों से एक मार्च निकालते हैं. अधिकांश फ़लस्तीनी इसे जानबूझकर उकसाने के लिए की जाने वाली हरकत मानते हैं. इससे पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने येरुशलम में निर्माण कार्य आगे ना बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव को ख़ारिज कर दिया था. यह निर्माण कार्य उसी जगह पर होना है जिस जगह पर यहूदी अपना दावा करते हैं. फ़लस्तीनियों को यहाँ से निकालने की संभावना को लेकर यहाँ अशांति बढ़ रही है. बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा, हम येरुशलम में निर्माण कार्य ना करने को लेकर बढ़ रहे दबाव को सिरे से खारिज करते हैं. ये दुख की बात है कि हाल के दिनों में इसके लिए दबाव बढ़ा है.

टेलीविज़न (Television) पर प्रसारित एक संदेश में उन्होंने कहा, मैं अपने मित्रों से ये कहना चाहता हूँ कि येरुशलम इसराइल की राजधानी है और जिस तरह हर देश अपनी राजधानी में निर्माण कार्य करता है, उसी तरह हमें भी अपनी राजधानी में निर्माण कार्य करने और येरुशलम को बनाने का अधिकार है. हम यही कर रहे हैं और आगे भी करेंगे. इस बीच ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने भी शांति बनाये रखने की अपील की और कहा कि “हिंसा, हिंसा को जन्म देती है.

क्या है विवाद? “

1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरूशलम को अपने कब्जे में ले लिया था और वो पूरे शहर को अपनी राजधानी मानता है.

हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसकी समर्थन नहीं करता है. फलस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आजाद मुल्क़ के राजधानी के रूप में देखता है.

पिछले कुछ दिनों पहले इलाके में तनाव बढ़ा था. आरोप है कि जमीन के इस हिस्से पर हक जताने वाले यहूदी फलस्तीनीयों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं जिसको लेकर विवाद चल रहा है. अक्टूबर 2016 मे संयुक्त राष्ट्र की संस्कृति शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने एक विवादित प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम मे मौजूद एतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है.

यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने यह प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलामानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है. जबकि यहूदी उसको टेंपल माउंट कहते रहते हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है.

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