COVID-19 की लड़ाई में ब्रिटेन भारत के साथ हैं और जल्द ही PM मोदी और बोरिस जॉनसन की वर्चुअल बातचीत संभव

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COVID-19 की लड़ाई में ब्रिटेन भारत के साथ हैं और जल्द ही PM मोदी और बोरिस जॉनसन की वर्चुअल बातचीत संभव

ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने कहा कि तात्कालिक संकट में भारत की मदद करने के लिए यूके ने मदद पहुंचाई है. साथ ही कई अन्य क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं. इसमें जिनोमिक्स शामिल है. दोनों देश इस COVID-19 की बीमारी से लड़ाई के बारे में भी अपने अनुभव और वैज्ञानिक डाटा शेयर कर सकते हैं.

नई दिल्लीः COVID-19 की इस लड़ाई में ब्रिटेन भारत के साथ है. भारत की जरूरत के लिहाज से महत्वपूर्ण 600 उपकरण व संसाधन भेजे जा रहे हैं. दो शिपमेंट भारत पहुंच चुके हैं और कुछ अन्य जल्द ही भारत आने वाले हैं. साथ ही ब्रिटेन ने भारत के लिए तीन मिनी ऑक्सीजन प्लांट भेजने का भी ऐलान किया है.

ब्रिटेन के हाई कमिश्नर ने कहा कि मैं उस वक्त लंदन में था जब हमारे यहां पर COVID-19 की बड़ी वेव आई थी. वह अनुभव हमारे लिए भी बहुत मुश्किल था. लेकिन स्थिति को संभालना संभव है. आइसोलेशन और वैक्सीनेशन जैसे उपाय भारत सरकार भी कर रही है. इस तरह की स्थिति में जरूरी है कि हम वह करें जो विज्ञान हमें बताता है. जनता को सरकार द्वारा दी गई सलाह पर चलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हम इस भारी मुशिकल घड़ी से गुजर रहे हैं. पिछली बार भारत ने हमारी मदद की थी. प्रिंस चार्ल्स ने अपने बयान में कहा कि भारत ने हमारे देश के लिए दवाओं के क्षेत्र में बड़ी मदद की. ऐसे में यूके भी भारत की मदद करेगा. क्योंकि कहीं भी जाती हैं कि वसुधैव कुटुम्बकम की यह दुनिया एक हैं.

एलेक्स इलीस ने कहा कि भारत और यूके के बीच मे वैक्सीन सहयोग का एक नमूना कोविशील्ड है. यह ब्रिटिश सरकार द्वारा पोषित ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रोजन के कमर्शियलाइजेशन से बना है जिसका सबसे बड़ा उत्पादन भारत में हैं. हम इस बार भारत सरकार के संपर्क मे है. भारत को इस समय कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन की जरूरत है और कोविशील्ड का सबसे ज्यादा उत्पादन सिरम इंस्टीट्यूट ही करता है.

उन्होंने कहा कि यूके भारत का दूसरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक साझीदार है और यूरोप में सबसे बड़ा. यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा NHS मे सबसे ज्यादा अगर किसी देश के लोग हैं तो वह भारत है.

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ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने कहा कि तात्कालिक संकट में भारत की मदद के लिए यूके ने मदद पहुंचाई हैं. साथ ही कई अन्य क्षेत्र हैं जिनमें दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं. इसमें जीनोंमिक्स शामिल हैं दोनों देश इस बीमारी से लड़ाई के बारे मे भी अपना अनुभव और वैज्ञानिक डाटा शेयर कर सकते हैं. इस COVID-19 की महामारी के ईलाज को लेकर अपने अनुभव को भी दोनों देश साझा कर सकते हैं. दोनों ही देशों के पास काफी अनुभव है. यह निश्चित रूप से एक विषय होगा जब जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्राइम मिनिस्टर बोरिस जॉन्सन के बीच वर्चुअल वार्ता होगी.

उन्होंने कहा कि भारत और यूके के बीच में जल्द ही यानी कुछ हफ्तों के भीतर दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत होनी है. मैं आपको एग्जैक्ट तारीख तो नहीं बता सकता लेकिन यह जल्द ही होगा. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत आने के लिए और भारत के साथ संवाद के लिए आतुर है. वह पहले भी भारत आ चुके हैं भारत को अच्छे से जानते हैं. लेकिन यह यात्राओं के लिए एक मुश्किल साल है. देश भक्ति shayari के लिए visit करे

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