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Global Warming पर निबंध |
आखिर क्या हैं ग्लोबल वार्मिंग?
आख़िर क्या हैं ग्लोबल वार्मिंग ( Global Warming) ? इसके कारण लोगों के आम जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है या फिर पड़ रहा हैं | ग्लोबल वार्मिंग आने वाले कुछ सालों में एक भयानक स्थिति को पैदा कर सकती हैं? अगर Global Warming के भयानक स्थिति पैदा हुई तो इसका एक मुख्य कारण मानव को ही माना जाएगा । हमारी यह धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है, यह सूर्य की ऊष्मा ग्रीन हाउस गैस से उत्पन्न होती हैं।
बीते 50 सालों में औसत वैश्विक तापमान (World Temperature) में सबसे तेजी से दर से वृद्धि हुई है। विशेषज्ञ का यह मानना हैं कि प्रवृत्ति में तेजी से यह आ रही है। लेकिन नासा (NASA) के 134 साल के रिकॉर्ड ( Record) में 16 सबसे गर्म वर्षों 2000 के बाद हुए हैं ।
जलवायु परिवर्तन से इनकार करने वाले विशेषज्ञ एक्सपर्ट्स (Experts) का मानना है कि बढ़ते वैश्विक तापमान में “रुकावट” या “कमी ” आई है, लेकिन जर्नल साइंस (General Science) में प्रकाशित 2015 के पेपर सहित कई हालिया अध्ययनों ने इस दावे को खारिज कर दिया गया है। वैज्ञानिकों का यह कहना है कि जब तक हम ग्लोबल-वार्मिंग Global Warming) उत्सर्जन पर अंकुश नहीं लगाते हैं, तो अगली सदी तक औसत अमेरिकी (American) तापमान 10 डिग्री फ़ारेनहाइट (Digress Forenhight) तक बढ़ सकता है।
ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं जो बाहर से मिल रही उष्मा या गर्मी को अपने अंदर ग्रहण कर लेती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2) होता है, जिसे हम मानव अपने साँस के साथ बाहर निकालते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों का यह कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस की मात्रा लगातार बढ़ रही है क्योंंकि धरती पर लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है ,जिससे कारण पर्यावरण की हालत और बिगड़ती चली जा रही है।
आख़िर क्या हैं ग्रीन हाउस गैस?
आखिर क्या हैं Green House Gas?
ग्रीन हाउस गैस वे गैस है जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ के तापमान (Temperature) को बढ़ाने में योगदान देती हैं, ग्रीन हाउस गैस ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ाने मे एक मुख्य कारक भी है। ग्रीन हाउस गैस से सबसे अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस उत्सर्जित होता है, फिर नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो – फ्लोरो कार्बन, वाष्प आदि हमारी पृथ्वी की ओजोन परत को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का अर्थ |
ग्लोबल वार्मिंग को शुद्ध हिंदी भाषा में भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहा जाता हैं। इसका सीधा-साधा एवं सरल वैज्ञानिक अर्थ होता है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव क्या हैं?
ग्लोबल वार्मिंग होने के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग से होने वाली हानियां, ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले दुष्प्रभाव
1.तापमान में अचानक से बढ़ोत्तरी- ग्रीन हाउस गैस के कारण पृथ्वी पर तापमान में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही हैं, वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसी तरह गैसों का उत्सर्जन होता रहा तो स्थिति भयानक हो जाएंगी। अगर लगातार तापमान में तेजी से परिवर्तन हुआ तो प्रकृति का डरावना रूप देखने को मिल सकता है इसीलिए प्रकृति के साथ सरल भाव से रहना चाहिए वरना प्रकृति के साथ किसी प्रकार की भी छेड़- छाड़ किया गया तो यह लोगों के लिए घातक साबित हो सकती हैं।
2.जल संकट- तापमान की बढ़ने से बर्फ़ के पहाड़ पिघलकर चादर बन जाएंगे, जिसके कारण समुंद्र का जल स्तर कई फीट तक बढ़ जाएगा और इस स्थिति में कई इलाक़ों में बाढ़ के आने का खतरा आ सकता है , यह खतरा हमारे लिए शारीरिक , मानसिक, और आर्थिक तीनों रुप से कमजोर कर सकता है।
3 . ग्लोबल वार्मिंग होने के कारण वनों , खेतों और शहरों में भयानक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । बढ़ती हुई आपदाएं , कारक कृषि और मत्स्य पालन को यह प्रभाव नुकसान पहुंचाएंगी ।
4 . प्रवाल भित्तियों (Habitats) और अल्पाइन घास के मैदानों ,कई सारे पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने की कगार पर ला सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव?
अफसोस की बात यह है कि, सबसे गरीब और सबसे कमजोर देश, और जिनका ग्लोबल वार्मिंग से कोई योगदान दिया है, वे देश ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। जोखिम वाले अधिकांश देशों में प्रशांत और दक्षिण पूर्व एशिया शामिल हैं, जिनमें किरिबाती, तुवालु, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश भी आते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग से हम कैसे बचाव कर सकते हैं
कई सारे लोग कहते है अगर आप प्रकृति को बचाएंगे तो , प्रकृति अपने आपको बचाएगी, ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का भी यही एक मात्र उपाय है इसके लिए बहुत सारे आसान, प्रभावी तरीके हैं जिनसे हम अपने पृथ्वी की स्तर पर इसे कम कर सकते हैं:-
1. लोगों मे जागरूकता अभियान चलाएं, रैली निकाले लोगो को जागरूक करें की ग्लोबल वार्मिंग आज आतंकवादी जैसे मुद्दों से भी बड़ा मुद्दा बन गया हैं इस पर अगर इस नहीं कि वह ध्यान नहीं दिया जाएगा तो बाद में बहुत देर हो जाएंगी
2. लोगों को अक्षय ऊर्जा(renewable energy) को बढ़ावा देना चाहिए.
3. ऊर्जा-कुशल(energy-efficient ) उपकरणों में निवेश करें।
4. लोगों द्वारा हो रही पानी की बर्बादी को कम काम करना होगा.
5. शाकाहारी भोजन खाएं : गाय और अन्य जंगली जानवर (जैसे – बकरियां और भेड़ें) मीथेन जो एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है ईन गैस का उत्सर्जन करते हैं, क्योंकि वे जानवर घास और पौधों को पचाते हैं।
6. लोगों द्वारा कम ईंधन की खपत करने वाले वाहनों को चलाना होगा
जितना हो सके हमारे तरफ से प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए, वृक्षारोपण को बढावा देना चाहिए , प्रदूषण कम फैलाएं, AC fridge का उपयोग भी थोड़ा कम करें, आम बल्बों के स्थान पर सीएफएल (CFL) का प्रयोग करें आदि।
कोरोना वायरस की महामारी या लॉकडाउन के चलते ग्लोबल वार्मिंग का असर हुआ कम हैं
आज विश्व एक तरफ़ कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहा है तो दूसरी तरफ प्रकृति लॉकडाउन में मानो आराम कर रही हैं, पर्यावरण में दिख रहे है कई सारे बदलाव जिसमें सबसे ज़्यादा बदलाव है ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होना अब लोग lockdown के कारण घरों में बंद है सारे काम ठप पड़े है तो प्रदूषण नियंत्रण में हो गया हैं जिससे तापमान में गिरावट देखने को भी मिल रही हैं जो हमारे लिए एक अच्छा संदेश है लोगो को कितने नियम कानून पर्यावरण को लेकर बनाए गए परंतु कुछ नहीं हो रहा था और संकट के घड़ी में पर्यावरण ने खुद को संभाल लिया।